जल है तो फिर कल है भैया
अब तो समझ जाओ यह बात
पानी से ही है जिंदगानी
सदा याद रखो यह बात
सूख रहे जल स्रोतों को अब
मिलकर हमें बचाना होगा
मुरझा रहे पेड़ पौधों को
हरा-भरा भी करना होगा
जल संरक्षण से आज जुड़े तो
जीवन भर पायेंगे सौगात
बूँद एक भी व्यर्थ न जाए
अनमोल धरा यह खिलखिल जाए
खेत हँसे फसलें गायें
दूर परिंदे भी मुस्काएं
पानी का सम्मान करें सब
तभी बनेगी बिगड़ी बात
निर्मल नीर सुलभ हो सबको
जल के लिए लड़ाई न अब हो
ताल तलैय्या भरें लबालब
एक दूजे के प्रति अदब हो
आज अगर चेते तो
बिखरेंगी खुशियाँ दिन रात
जल है तो फिर कल है भैया
अब तो समझ जाओ यह बात
पानी से ही है जिंदगानी
सदा याद रखो यह बात